उपराष्ट्रपति चुनाव रिजल्ट 2025: सीपी राधाकृष्णन ने बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराया
NDA उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) भारत के नए उपराष्ट्रपति होंगे। उन्होंने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराया। उपराष्ट्रपति चुनाव (उपराष्ट्रपति चुनाव रिजल्ट 2025) के लिए आज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ। संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने अपने-अपने वोट डाले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले वोट डालने वाले सदस्यों में शामिल थे।
उपराष्ट्रपति चुनाव रिजल्ट 2025: मतदान में कुल 767 सांसदों ने वोट किया
मतदान में कुल 767 सांसदों ने वोट डाला था। मतगणना के दौरान 752 वोट वैध पाए गए, जबकि 15 वोट अवैध घोषित कर दिए गए। नतीजों में राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट हासिल हुए। इसके मुकाबले इंडिया ब्लॉक प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट मिले। इस जीत के साथ राधाकृष्णन देश के नए उपराष्ट्रपति (उपराष्ट्रपति चुनाव रिजल्ट 2025) बन गए हैं, जबकि विपक्ष को इस चुनाव में तगड़ा झटका लगा है।
उपराष्ट्रपति चुनाव रिजल्ट 2025: विपक्ष के 3 दलों ने वोटिंग से बनाई दूरी
मतदान से ठीक पहले विपक्ष के 3 दलों ने वोटिंग से दूरी बना ली है, जिनमें BJD, BRS और अकाली दल शामिल हैं। इन 3 दलों के पास कुल 14 सांसद है। KCR की पार्टी BRS और ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक की पार्टी BJD ने उपराष्ट्रपति चुनाव (उपराष्ट्रपति चुनाव रिजल्ट 2025) से किनारा कर लिया है। मतलब की वो किसी भी पार्टी का न तो समर्थन करेंगे और न ही वोट करेंगे। संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में BRS के 4 और BJD के 7 सांसद हैं।
लोकसभा में इकलौते सांसद वाले शिरोमणि अकाली दल ने भी पंजाब में बाढ़ के चलते वोट डालने से इनकार कर दिया है। AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बताया कि इस चुनाव में वे INDIA के प्रत्याशी को समर्थन करेंगे। YSRCP के 11 सांसदों ने NDA उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने का फैसला किया है।
उपराष्ट्रपति चुनाव रिजल्ट 2025: तीन दलों की दूरी का क्या पड़ेगा सियासी प्रभाव
- BJD, BRS और अकाली दल के सांसद सदस्यों की संख्या मिलाकर 14 होती है। मौजूदा समय में लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 239 सांसद हैं। इस तरह दोनों सदनों के कुल सदस्य 781 हैं, जिसके लिहाज से जीत के लिए उम्मीदवार को कम से कम 391 सांसदों का समर्थन चाहिए।
- तीनों दलों के वोटिंग से दूरी बनाए रखने के चलते सबसे पहला असर ‘नंबर गेम’ पर पड़ेगा। इस तरह अब दोनों सदनों के सांसदों की संख्या 767 ही रह गई है। जीत के लिए कम से कम 384 सांसदों का समर्थन चाहिए।
- तीनों दल विपक्ष के हैं, लेकिन पिछले 11 सालों से सरकार के नजदीक रहे हैं। मोदी सरकार के हर संकट में साथ खड़े रहे हैं। अकाली दल तो NDA का हिस्सा ही रहा है, लेकिन BJDऔर BRS गठबंधन में न होने के बाद भी साथ देती रही है।
- 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में भी इन्होंने एनडीए के जगदीप धनखड़ का समर्थन किया था। इस बार के चुनाव में वोटिंग से दूरी बनाए रखने का असर एनडीए की जीत के मार्जिन पर पड़ेगा। वहीं, दूसरी तरफ, इसे विपक्ष के लिए भी सियासी झटका माना जा रहा है।
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