Shibu Soren Death: नहीं रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ली अंतिम सांस

Shibu Soren Death News: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक सह संरक्षक, झारखंड के पूर्व CMऔर राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे. 81 साल की उम्र में आज यानी 4 अगस्उत की सुबह उनका निधन हो गया. इसकी जानकारी CM हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर दी.

Shibu Soren Death News:  इलाज के दौरान दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन

लंबे समय से किडनी की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे गुरुजी को 19 जून 2025 को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसी दौरान उनको ब्रेन स्ट्रोक हुआ और उनकी हालत बिगड़ गयी. हालांकि, इलाज के दौरान उनकी स्थिति में सुधार हुआ था. काफी दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद उन्होंने आज अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से झारखंड में शोक की लहर दौड़ गयी है.

Shibu Soren Death: शिबू सोरेन दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे

शिबू सोरेन की तबीयत खराब होने के बाद उनके बेटे CM हेमंत सोरेन और उनकी बहू कल्पना सोरेन भी दिल्ली पहुंची. उनके छोटे बेटे बसंत सोरेन भी दिल्ली में ही मौजूद हैं. बीमारी की सूचना पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार भी शिबू सोरेन से मिलने गंगाराम अस्पताल पहुंचे थे.

Shibu Soren Death: शिबू सोरेन की झारखंडअलग राज्य के आंदोलन में अहम भूमिका

गौरतलब हो कि शिबू सोरेन की झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में अहम भूमिका रही है. अलग राज्य बनने के बाद वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे. उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की थी. वर्तमान में वे पार्टी के संरक्षक की भूमिका में थे. वे सात बार लोकसभा के सांसद भी चुने गए. 2004 में वे मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे.

 

Shibu Soren Death: शिबू सोरेन का जीवन और संघर्ष

11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन का बचपन संघर्षों से भरा था। उनके पिता, सोबरन सोरेन, एक शिक्षक थे, जिनकी हत्या महाजनों द्वारा कर दी गई थी। इस घटना ने शिबू सोरेन को आदिवासी समाज के उत्थान और महाजनों-सूदखोरों के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर गांव में आदिवासियों को संगठित करना शुरू किया और 1970 के दशक में राजनीति में कदम रखा।

उनके राजनीतिक जीवन में कई विवाद भी रहे। 2006 में उन्हें अपने सचिव शशि नाथ की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था, और चिरूडीह कांड जैसे अन्य आपराधिक मामले भी उनके नाम से जुड़े। फिर भी, आदिवासी समुदाय में उनकी लोकप्रियता और प्रभाव कभी कम नहीं हुआ।

शिबू सोरेन का परिवार

शिबू सोरेन की शादी रूपी सोरेन से हुई थी। उनके तीन बेटे—दुर्गा, हेमंत, और बसंत—और एक बेटी अंजली हैं। उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन का पहले ही निधन हो चुका है। हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, जबकि बसंत सोरेन दुमका से विधायक हैं। उनकी बहू, कल्पना सोरेन, भी विधायक हैं।

झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत

शिबू सोरेन के निधन को झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है। उनके द्वारा स्थापित JMM आज भी झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति है। उनके नेतृत्व में शुरू हुआ आदिवासी अधिकारों का आंदोलन और झारखंड राज्य का गठन उनके अमर योगदान के प्रतीक हैं।

आदिवासी समुदाय और उनके समर्थक उन्हें हमेशा ‘दिशोम गुरु’ के रूप में याद रखेंगे, जिन्होंने जंगल से लेकर दिल्ली तक अपनी मजबूत आवाज बुलंद की। उनके निधन से झारखंड ने एक महान नेता खो दिया है, लेकिन उनकी विरासत JMM और झारखंड की जनता के बीच हमेशा जीवित रहेगी।

 

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