Enos Ekka: झारखंड के पूर्व मंत्री एनोस एक्का और उनकी पत्नी मेनन को आदिवासी जमीन घोटाले में 7-7 साल की सजा, रांची के पूर्व LRDC कार्तिक प्रभात को 4 वर्ष की सजा

एनोस एक्का (Enos Ekka Case): झारखंड के पूर्व मंत्री एनोस एक्का अब पत्नी मेनन के साथ खाएंगे जेल की हवा, आदिवासी जमीन घोटाले में मिली 7-7 साल की सजा

रांची। झारखंड के बहुचर्चित CNT एक्ट उल्लंघन मामले में शनिवार को CBI के विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री एनोस एक्का (Enos Ekka Case) और उनकी पत्नी मेनन एक्का को 7-7साल की सजा सुनाई। इसके अलावा रांची के तत्कालीन LRDC (भूमि सुधार उपसमाहर्ता) कार्तिक कुमार प्रभात समेत 4 को लोगों को 5-5 साल की सजा सुनाई गई है।कोर्ट ने साफ किया कि अगर दोषी जुर्माना जमा नहीं करते हैं, तो उन्हें एक साल अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी।

CBI के विशेष न्यायाधीश SN तिवारी की अदालत ने शुक्रवार को हुए सुनवाई में 15 साल पुराने मामले में CNT एक्ट का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर आदिवासी जमीन खरीदने के मामले में एनोस एक्का, उनकी पत्नी और रांची के तत्कालीन LRDC सहित 10 को दोषी करार दिया था।

एनोस एक्का (Enos Ekka Case) : झारखंड के पूर्व मंत्री एनोस एक्का अब पत्नी संग खाएंगे जेल की हवा

शनिवार को सभी दोषियों की सजा की बिंदु पर सुनवाई हुई। सभी दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीबीआई कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने दोषियों पर 1-1 लाख का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर दोषी जुर्माना की राशि जमा नहीं करते हैं तो उन्हें 1-1 वर्ष अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

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एनोस एक्का (Enos Ekka Case) : रांची के पूर्व LRDC कार्तिक प्रभात को 4 वर्ष की सजा

CBI के बयान में कहा गया, “LRDC (भूमि सुधार उपसमाहर्ता), उनके कर्मचारी और सर्कल अधिकारी मेनन और एनोस एक्का के साथ मिलीभगत में थे। तथ्यों के बावजूद उन्होंने ज़मीन हस्तांतरण की अनुशंसा की। LRDC ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से अनुकूल रिपोर्ट तैयार कराई और जमीन हस्तांतरण को मंजूरी दी।” जांच पूरी होने के बाद CBI ने 10 दिसंबर 2012 को 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

एनोस एक्का (Enos Ekka)
एनोस एक्का (Enos Ekka)

एनोस एक्का (Enos Ekka Case) : CNT एक्ट उल्लंघन मामला: मंत्री रहते खरीदी थी आदिवासी जमीन, अब मिली सजा

यह मामला CNT एक्ट का उल्लंघन कर जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़ा है, जो करीब 15 साल पुराना है। शुक्रवार को अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिसके बाद शनिवार को सजा पर सुनवाई हुई। दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत के सामने पेश किया गया। विशेष लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह ने इस केस का ट्रायल कोर्ट में कराया।

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एनोस एक्का (Enos Ekka Case):  क्या थे आरोप?

एजेंसी ने आरोप लगाया कि वर्ष 2006 से 2008 के बीच एनोस एक्का ने अपनी पत्नी मेनन एक्का के नाम पर रांची में बड़ी मात्रा में ज़मीन खरीदी थी। जिसमें  एनोस एक्का मंत्री रहते हुए पद का दुरुपयोग किया और फर्जी पते का इस्तेमाल कर आदिवासी जमीन खरीदी। इस दौरान तत्कालीन LRDC कार्तिक प्रभात ने उनकी मदद की। इन ज़मीनों की खरीद पर 1.18 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए थे। CBI के अनुसार, यह ज़मीन अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों से खरीदी गई थी, जो भूमि संरक्षण कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन था।

जांच में सामने आया कि प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-बिक्री की गई थी।

  • हिनू में 22 कट्ठा
  • ओरमांझी में 12 एकड़ से अधिक,
  • रांची के नेवरी में 4 एकड़ से अधिक,
  • चुटिया के सिरम टोली मौजा में 9 डिसमिल

CBI द्वारा लगाए गए सभी आरोप कोर्ट में सिद्ध हो गए। अदालत के अनुसार, एनोस एक्का ने अपनी पत्नी मेनन एक्का के नाम पर मार्च 2006 से मई 2008 के बीच कई जगहों पर जमीन खरीदी थी,  यह सभी खरीदारी सीएनटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए की गई, जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर लेन-देन हुआ।

एनोस एक्का (Enos Ekka)
एनोस एक्का (Enos Ekka Case)

Enos Ekka Case: एनोस पहले भी कई मामलों में दोषी

गौरतलब है कि एनोस एक्का (Enos Ekka Case) पहले भी पारा टीचर हत्याकांड, मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं। यह चौथा मामला है, जिसमें उन्हें सजा सुनाई गई है।

2020 में मनी लॉन्ड्रिंग केस: रांची की एक अदालत ने एनोस एक्का को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के आधार पर सात साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई थी। यह फैसला न्यायाधीश अनिल मिश्रा ने सुनाया था। एक्का को धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 4 के तहत दोषी पाया गया था।

2018 में हत्या का मामला: एनोस एक्का को परा-शिक्षक मनोज कुमार की हत्या के मामले में भी दोषी ठहराया गया था। इस केस में उन्हें 2014 में गिरफ्तार किया गया था और जुलाई 2018 में अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी थी।

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