Jharkhand me Jamin ke Prakar: झारखंड में जमीन प्रकारों का आधार: Types of Land in jharkhand
झारखंड में जमीन (Types of Land in Jharkhand) का वर्गीकरण मुख्य रूप से जातिगत आधार और ऐतिहासिक भूमि व्यवस्था पर किया गया है। यहाँ की ज़्यादातर जमीन छोटानागपुर टेनेंसी (CNT) एक्ट, 1908 और संथाल परगना टेनेंसी (SPT) एक्ट, 1949 के अंतर्गत आती है, जो कई प्रकार की जमीनों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हैं।

Types of Land in Jharkhand: जमीन प्रकार और उनकी कानूनी स्थिति
1. खुदकट्टी जमीन (Kudkatti Land): Types of Land in Jharkhand
- परिभाषा: यह वह जमीन है जिसे मूल रूप से जंगल या झाड़ियों को साफ़ करके खेती योग्य बनाया गया था। यह नाम विशेष रूप से मुंडा जाति के किसानों से जुड़ा है।
- कानूनी स्थिति: यह जमीन CNT एक्ट के अंतर्गत आती है। इसकी खरीद-बिक्री गैर-अनुसूचित जनजाति (ST) के लोगों से गैर-अनुसूचित जनजाति (Non-ST) को करना सख्त प्रतिबंधित है। कानूनी तौर पर बिक्री योग्य नहीं मानी जाती।
2. भुईंहर / उरांव जमीन (Bhuinhar / Oraon Land): Types of Land in Jharkhand
- परिभाषा: यह जमीन मुख्य रूप से उरांव जाति [एक अनुसूचित जनजाति (ST)] से जुड़ी है। इनके पास पारंपरिक रूप से खेती की ज़मीनें होती थीं।
- कानूनी स्थिति: यह भी सीएनटी एक्ट के दायरे में आती है। गैर-अनुसूचित जनजाति (Non-ST) व्यक्तियों को इस जमीन की खरीद-बिक्री की अनुमति नहीं है। बिक्री योग्य नहीं।

3. कोड़कर जमीन (Kodkar Land): Types of Land in Jharkhand
- परिभाषा: ऐतिहासिक रूप से, यह जमीन उन लोगों को दी जाती थी जो मुंडा या उरांव जैसी मूल जनजातियों से संबंधित नहीं थे यानी कि गैर-आदिवासी को। इसे कभी-कभी ‘सदन’ या ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ जमीन भी कहा जाता था।
- कानूनी स्थिति: यह जाति-विशेष पर निर्भर करता है। अगर वर्तमान मालिक अनुसूचित जनजाति (ST) का है और जमीन सीएनटी/एसपीटी क्षेत्र में है, तो गैर-एसटी को बेचना प्रतिबंधित हो सकता है। अगर मालिक गैर-एसटी है या जमीन सीएनटी/एसपीटी क्षेत्र के बाहर है, तो खरीद-बिक्री संभव हो सकती है। कानूनी सलाह और जमीन के ठीक स्थान व मालिक की स्थिति की पुष्टि ज़रूरी है।
4. राजहंस / राजा की दान की जमीन (Rajhans/Donated Land): Types of Land in Jharkhand
- परिभाषा: यह वह जमीन है जो पूर्ववर्ती राजाओं या जमींदारों द्वारा दान में दी गई अथवा वितरित की गई थी।
- कानूनी स्थिति: कानूनी मान्यता केवल 1 जनवरी 1946 से पहले दिए गए दान पत्रों (सदा पट्टा) को है। इस तिथि के बाद दिए गए किसी भी “राजा का दान पत्र” को अवैध माना जाता है। ऐसी जमीन खरीदना बेहद जोखिम भरा है।
Types of Land in Jharkhand: Kodkar Land/Rajhans/Donated Land
5. मांझियस / विकास जमीन (Manjhias/ Vikas Land) : Types of Land in Jharkhand
- परिभाषा: यह वह जमीन है जो जमींदारों के स्वामित्व में थी और उनके द्वारा सीधे खेती के लिए इस्तेमाल की जाती थी या उनके प्रबंधन में थी (जैसे खलिहान, गौशाला के लिए)। खतियान (रिकॉर्ड) में अक्सर ‘विकास’ लिखा होता है। इसमें उर्दू/फारसी शब्दों का भी प्रयोग हो सकता है।
- मांझियस जमीन को वकास्त, जजरात, मन, वेटखेता के नाम से भी जाना जाता है।
- कानूनी स्थिति: आमतौर पर, ज़मींदारी उन्मूलन के बाद, यह जमीन उस व्यक्ति/परिवार के नाम हो गई जो इस पर खेती कर रहा था या जिसे यह आवंटित की गई। अगर यह सीएनटी/एसपीटी क्षेत्र में है और वर्तमान मालिक एसटी है, तो गैर-एसटी को बेचने पर प्रतिबंध लागू हो सकता है। अन्यथा, खरीद-बिक्री संभव है, लेकिन कागज़ात की पूरी जांच ज़रूरी।
6. कैसर ए हिदं भूमि (Kaisar e Hind Land): Types of Land in Jharkhand
- केंद्र सरकार की जमीन को कैसर ए हिंद जमीन कहा जाता है। इस जमीन की भी बंदोबस्ती नहीं की जा सकती है। इस जमीन का देखभाल करने का दायित्व राज्य सरकार को होता है।
Types of Land in Jharkhand: Manjhias/Vikas Land/Kaisar e Hind Land
7. खासमहल भूमि (Khasmahal Land): Types of Land in Jharkhand
- आजादी से पहले जो अंग्रेज प्रशासक अपने सैनिकों को रखने के लिए, घोड़े को रखने के लिए, सरकारी आवास, कार्यालय के लिए जो जमीन उपयोग करते थे उस जमीन को खासमहल वर्ग में रखा गया है। यह जमीन, सरकारी जमीन होता है। साहेबगंज और मेदिनीनगर शहर की ज्यादातर भूमि खासमहल भूमि कहलाता है। यह जमीन कुछ निर्धारित समय के लिए लीज पर दिया जाता है। किंतु इसकी बंदोबस्ती नही की जा सकती है।
8. रैयती जमीन (Raiyati Land): Types of Land in Jharkhand
- परिभाषा: यह वह जमीन है जिस पर किसान (रैयत) जमींदार को लगान देकर खेती करता था। यह एक किराएदारी की स्थिति दर्शाता है।
- कानूनी स्थिति: ज़मींदारी उन्मूलन के बाद, अधिकांश रैयतों को उनकी खेती की जमीन का स्वामित्व/अधिकार मिल गया। इसकी कानूनी स्थिति वर्तमान मालिक की जाति और जमीन के स्थान (सीएनटी/एसपीटी क्षेत्र में होने या नहीं) पर निर्भर करती है। पूरी जांच आवश्यक।

9. गैर-मजरुआ जमीन / सरकारी जमीन (Gair-Majarua/ Govt Land) (राज्य सरकार): Types of Land in Jharkhand
- गैर-मजरुआ जमीन दो प्रकार के होते हैं: – (i) गैर-मजरुआ खास और (ii) गैर-मजरुआ आम ( गैर-मजरुआ मालिक)
(i) गैर-मजरुआ आम (Gair Majarua Aam)
- यह सरकारी जमीन होता है। इस जमीन का उपयोग वहां रहने वाले समुदाय सामूहिक रूप से उपयोग करते हैं। जैसे सड़क, कुंआ, तालाब, नहर, मसना, सरना, श्मशान घाट इत्यादि। इस जमीन की बंदोबस्ती किसी के नाम से नहीं की जा सकती है। इसे ना खरीदा ना बेचा जा सकता है।
- इसकी किसी भी तरह की बिक्री या कब्जा अवैध है। इसे ‘गैर-मजरुआ मलकाना’ भी कहा जा सकता है।
(ii) गैर-मजरुआ खास (Gair Majarua Khas)
- यह वह सरकारी जमीन होती है जिसका उपयोग विशिष्ट प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए होता था (जैसे जमींदार का अधिकार क्षेत्र, सरकारी भवन, गौशाला आदि)। सरकार समय-समय पर ऐसी जमीन का उपयोग (जैसे भूमिहीनों को आवंटन) कर सकती है।यानी कि बंदोबस्ती की जा सकती है। सीधे खरीदने योग्य नहीं होती। किसी को आवंटित होने के बाद ही उसकी बिक्री संभव हो सकती है (नियमों के अधीन)।
- ऐसी जमीन जो जमींदारी प्रथा के समय जमींदार के अधीन खमिहान, मवेशी के चरागाह, गौशाला आदद के रुप में थे। इस जमीन को जमींदारी प्रथा के खत्म होने के बाद सरकार ने ले ली पर इस जमीन पर किसी प्रकार का खेती/जोत संभव नहीं हो पाया। भू सर्वे में इस जमीन को किसी आम व्यक्ति के नाम में सर्वे नहीं किया गया। इस जमीन पर किसी का स्वामित्व नहीं हो पाया। इसी जमीन को गैर-मजरूआ खास या मालिक जमीन कहा जाता है। सरकार ने भूमिहीन लोगों के लिए इसी जमीन का बंदोबस्ती किया है।
- अन्य: नगर निगम, पंचायत, जिला परिषद आदि की अपनी जमीनें भी होती हैं। बिक्री योग्य नहीं होतीं, सिवाय सरकारी प्रक्रिया द्वारा निपटान के।
10. केंद्र सरकार की जमीन (Central Govt Land): Types of Land in Jharkhand
- परिभाषा: रेलवे लाइन, रक्षा भूमि (छावनी), वन विभाग की जमीन (आरक्षित/संरक्षित वन), डाक-तार विभाग की जमीन आदि। इनका प्रबंधन संबंधित केंद्रीय विभाग/एजेंसी करती है।
- कानूनी स्थिति: इनकी खरीद-बिक्री आम जनता के लिए पूर्णतः प्रतिबंधित है। इन पर कब्ज़ा अवैध है।
Types of Land in Jharkhand:Gair-Majarua/ Govt Land
Types of Land in Jharkhand: जमीन खरीदते समय याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें: Jharkhand me Jamin ke Prakar
1. सीएनटी/एसपीटी एक्ट सबसे महत्वपूर्ण: झारखंड में खरीद-बिक्री की कानूनीता तय करने में सीएनटी एक्ट और एसपीटी एक्ट सर्वोपरि हैं। इनके तहत अनुसूचित जनजाति (ST) की जमीन का गैर-अनुसूचित जनजाति (Non-ST) व्यक्ति द्वारा हस्तांतरण गंभीर अपराध है।
2. जमीन का नाम ही काफी नहीं: सिर्फ़ जमीन के प्रकार का नाम (जैसे ‘मंजेश’, ‘भूमिहारी’) देखकर यह न समझें कि वह खरीदी जा सकती है या नहीं। वर्तमान मालिक की जाति (ST या Non-ST) और जमीन का सटीक स्थान (क्या यह सीएटी /एसपीटी अधिसूचित क्षेत्र में है) निर्णायक है।
3. कागज़ात की गहन जांच: खरीदने से पहले खतियान (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स – RoR), नक्शा (मानचित्र), पिछले 30-40 वर्षों के दस्तावेज़, बैंड ऑब्सट्रक्शन सर्च रिपोर्ट की विस्तृत जांच अनुभवी वकील से करवाएँ। देखें कि मालिकाना हक का इतिहास स्पष्ट है और कोई कानूनी प्रतिबंध तो नहीं लगा है।
4. सरकारी जमीन से सावधानी: किसी भी प्रकार की सरकारी जमीन (राज्य या केंद्र) खरीदने का दावा अत्यंत संदेहास्पद है। ऐसे प्रस्तावों से बचें।
5. पेशेवर सलाह ज़रूरी: जमीन खरीदना एक बड़ा निवेश है। हमेशा झारखंड के स्थानीय भूमि कानूनों में माहिर एक योग्य वकील की सलाह लें। उन्हें सारे दस्तावेज़ दिखाएं और उनकी राय के बाद ही कोई निर्णय लें।
Types of Land in Jharkhand: झारखंड में जमीन खरीद प्रक्रिया: Jharkhand me Jamin ke Prakar
झारखंड में जमीन खरीदना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, खासकर सीएनटी और एसपीटी एक्ट के कारण। खुदकट्टी, भुईंहरी/उरांव जैसी जनजातीय जमीनों की गैर-जनजातियों द्वारा खरीद बिक्री कानूनन अवैध है। करकर, मांझी/मंजेश, रैयती जमीन की खरीद-बिक्री केवल तभी संभव है जब वर्तमान मालिक गैर-एसटी हो और जमीन पर कोई कानूनी बंधन न हो। राजहंस जमीन (1946 के बाद के दावे) और किसी भी प्रकार की सरकारी जमीन खरीदना बड़े जोखिम से भरा है।
याद रखें: जमीन के नाम या प्रकार को सुनकर भ्रमित न हों। कानूनी रूप से सुरक्षित लेनदेन के लिए दस्तावेज़ों की गहन जांच और एक विश्वसनीय भूमि कानून विशेषज्ञ वकील की सलाह अनिवार्य है। सावधानी और पूरी जानकारी ही भविष्य के विवादों से बचाती है।
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